जब हुआ सामना मौत से,
ज़िन्दगी याद आ गयी
न मम्मी न पापा न भाई न बहना
न बंधू न मित्र न कोई गहना
बस वही ज़िन्दगी जिसे कभी नहीं माना याद आ गयी
बिताए हुए वो सारे खूबसूरत पल
मानो आखों से हो रहे थे ओझल,
वो यारों के साथ लड़ना
वो ख़ास वाली को मनाना
वो मम्मी का डांटना
वो मेरा ऐटिटूड दिखाना
वो पापा को यार यार बोलना
वो उनका चिल्लाना और बाद में फिर मुस्कुराना
हर एक पल, हर वो लम्हे
मनो बहुत सारी अभी भी बाकी थे कहने
तो यारों जी लो जी भर के
कुछ अपना और कुछ औरों का भला कर के
क्यूंकि जब सामना होता है मौत से
तो यही नॉट सो हैपेनिंग ज़िन्दगी याद आती है !!