मैं भारत भाग्य विधाता हूँ।
मैं ब्रह्म हूँ, मैं ही ओम हूँ
मैं कसम राम की खाता हूँ
पीर सभी का हरने वाला
मैं भारत भाग्य विधाता हूँ
मैं शूरवीर,मैं महाबली
ऐसी अद्भुत इक गाथा हूँ
मैं अवतारी, मैं परम पुरुष
मैं ही मूरख कहलाता हूँ
मेरी बात पहुँचे चहुँ दिशा
मैं ज़ोर-ज़ोर चिल्लाता हूँ
मुझको सुनना मजबूरी भी
मैं ऐसा खेल दिखाता हूँ
मैं निराकार, मैं होशियार
मैं हर विषयों का ज्ञाता हूँ
मैं उद्धारक, मैं ही भारत
मैं ही भगवा लहराता हूँ
मैं मन की बात सुनाता हूँ
इसमें माहिर, न अघाता हूँ
राम बसे मेरे रोम-रोम
मैं भव्य रूप दिखलाता हूँ
एक अद्भुत कला में माहिर
मैं उसमें ही बतियाता हूँ
कमर कसो मंदिर के ख़ातिर
मैं सबको राह दिखाता हूँ
मैं बिन पेंदी का लोटा पर
सुंदर सपने दिखलाता हूँ
तुम सब सुअर की पैदाईश
मैं सबका बाप कहाता हूँ
मैं ही जन-गण-मन अधिनायक
मैं करतब कर दिखलाता हूँ
माँगों मुझसे जी भर कुछ भी
मैं हर याचक का दाता हूँ
मैं फलना हूँ, मैं ढिमका हूँ
मैं भारत भाग्य विधाता हूँ।
– © सतीश कुमार