मुझे आदमियों से डर लगता था,
11 साल उम्र थी मेरी , हसमुख, चंचल स्वभाव सबसे हंसती और बातें करती ,
एक दिन स्कूल में नया शिक्षक आया , नादान थी मै क्या हैं इरादे उसके ,
क्लास के बाद वो घर पर ट्यूशन देता था मेरी माँ ने भी दाखिला करा दिया मेरा मेरी ख़ुशी का तो ठिकाना ही नही था,
रोज माँ छोड़ने जाती,
एक दिन वो बोला तुम अब बडी हो गयी माँ को परेशान करना ठीक नही अकेले आ जाया करो,
एक दिन मै जल्दी पहुच गयी , पढ़ने का शौक जो था उसने अपने पास बैठने को कहा , मै गयी, तो वह गलत ढंग से छूने लगा,
मै डरी, सहमी घर पहुची बताऊँ भी तो किससे,
दादी माँ से बात नही करती मै लड़की बन कर जो पैदा हुई,
पिताजी पढने के खिलाफ थे,
मेने सहना सीख लिया ,
वो छुता रहा मै सहती रही,
एक दिन मैने माँ को बता दिया माँ ने पिता जी से कहकर उसे स्कूल से निकलवा दिया
और मुझे भी,
फिर पढ़ना बंद एक दिन घर मै दूर के फूफाजी आये,
गांव था , लाइट का ठिकाना भी न था, अँधेरा देख वो मेरे बिस्तर में आकर लेट गए जैसे ही कुछ गलत लगा में जोर से चीखी बहुत हुआ डर अब न
डरूँगी, या तो ये मरेगा या अब मै मरूँगी,
मैने उनको दांत से काट लिया लाइट भी आ गयी ,
गांव वाले भी उन्होंने उसे खूब मारा ,
पर मै अकेली हो गयी कोई भी मर्द करीब आये तो डर जाती,
घर में अकेले रहने से डर लगता था मुझे,
पापा ने फिर स्कूल में दाखिल करा दिया धीरे-धीरे मैने खुद को आखिर संभालना सीख ही लिया
मुझे मर्दों से डर लगता था
What’s your reaction?
Love0
Sad0
Happy0
Sleepy0
Angry0
Dead0
Wink0