
‘मारो मत मुझको’, चिल्लाय
एक कहे – ‘मत काटो गाय’
जाने कब हमला हो जाय
कब चल जाए गोली, धांय
हुए परेशां जुम्मन भाय
बच्चें उनके कुछ ना खाय
‘हरिया’ ‘हामिद’ को समझाय
खाना है तो मुर्गा लाय
बच्चा बकरी का कटवाय
या फिर हरियर पान चबाय
‘गौ माता’ तो रोज़ ‘दुहाय’
दूध मिले, पी लीजै चाय!
©सतीश कुमार